महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में लोग औरंगजेब को नहीं जानते थे लेकिन जब मराठी थियेटर के सबसे ताक़तवर अभिनेता प्राभाकर पंशीकर ने औरंगजेब की भूमिका में गाँव गाँव में घूमकर नाटक प्रस्तुत करना शुरू किया तो लोग उनकी शख्सियत से जोड़कर औरंगजेब का तसव्वुर करने लगे.
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वैसा, जो आपको संतुष्टि दे, या वैसा, जो दर्शकों को अच्छा लगे? अपनी संतुष्टि के लिए नाटक करते हैं, तो फिर दर्शकों के नहीं आने का रोना रोने का कोई औचित्य नहीं! और यदि आप दर्शकों की पसंद का नाटक करना चाहते हैं, तो आपको दर्शकों के सरोकार से जुड़े नाटक करने होंगे! आपको वही नाटक प्रस्तुत करना होगा, जो समाज में घटित हो रहा है।